कोरोना पर एक विश्लेषण

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corona


    चाहे इस विश्व के कण कण में hospital खोल दिया जाय , चाहे हर मनुष्य क्या , हर जीव के कोख से Doctor पैदा करवा दिया जाय‌ 

     चाहे दवाईयों के पेड़ या फसल ही बोने लग जाइए , तब भी सभी इसबीमारी से मरते ही रहेंगे । 


क्यों ???? 


क्योंकि 👇


काहु न कोउ सुख दुख कर दाता ।
निज कृत कर्म भोग सब भ्राता ।।


     जब तक हमारे खान पान की शैली , खाद्य -अखाद्य की मर्यादा , नियम - संयम की ऐसी तैसी रहेगी तब तक हम लोग मरते रहेंगे । 


   इस विश्व के शारीरिक रोग का एकमात्र कारण यह छोटी सी मांसल जीभ है । 

     इसी जीभ के स्वाद के लिए लोगों ने भोजन के नियम संयम , आचार , व्यवहार सब खत्म कर दिया और आज hospital में doctors के पैरों पर नाक रगड़कर गिड़गिड़ा रहे हैं। 

चिल्ला रहे हैं हॉस्पिटल hospital कर के । 

junk food

     जब बोला जाता है कि अपने शरीर में कुछ भी कूड़ा कर्कट मत डालो , तो सब गुस्से से सामने वाले को देखते हैं । असंयमित खाना , असंयमित पीना , बाहर का चाटना , घर घर अशुद्धता शुद्धता का विचार किये चाटना , पैकेट बन्द सामग्रियों को खाना , pesticides, insecticides, रासायनिक उर्वरक खा खा कर रक्त, धमनियों और DNA तक भरना , पानी को इतना फ़िल्टर कर लेना कि उसमें से सब minerals और essentials nutrients निकल जाय तब पीना , सुबह सबेरे, शाम, दोपहर रात जब चाहे तब मुँह चलाना , कोई समय नहीं , कोई नियम नहीं कि कब खाना , क्या खाना , कितना खाना , कैसे खाना , क्यों खाना ।


  बस भगवान ने मुँह दे दिया तो उसमें कुछ भी कभी भी कैसे भी डाल लो । 

ठंडियों तक में लोगों को मैंने आम खाते देखा है और Ice Cream खाते देखा है । उनके चेहरे पर दर्प भाव रहता है कि वो ऐसा फल खा रहे हैं जो सभी को उपलब्ध नहीं है ।


   लेकिन उन मूर्खाधिराजों को यही नहीं पता कि यही दर्प भाव हॉस्पिटल और doctors लाखों का तुमसे लूट कर तुम्हे जीवन भर रोगी बनाकर तोड़ेंगे । 

जब बोला जाता है कि Maid से सब काम करवा लो लेकिन भोजन स्वयं बनाओ तो उसमें नारी सशक्तिकरण घुस कर और आधुनिकता का हवाला देकर hospital में एक bed book करवा लेते हैं।  

     मर जायेंगे , आह माई आह माई करते रहेंगे लेकिन भोजन maid ही बनाएगी, जिसका पता नहीं किस विचार , कौन से तरंगों से , कौन से energy लेवल से , कौन से भावना डालकर , किस शुद्धता से वह भोजन तैयार करेगी या करेगा । 

बस लोलुप जीभ को स्वाद मिलना चाहिए और मोटी चमड़ी को आराम । 

भले ही इससे पूरा परिवार का स्वास्थ्य हाशिये पर ही क्यों न आ जाये । 

Sauce, बंद buiscuits , नमकीन , cold drinks , पिज़्ज़ा , burger , गंदे बासी canned juices सबके घर में पड़े होंगे और लैपटॉप पर काम करते भक्षण चलता रहेगा  लेकिन अजवाईन , हरड़ , सौंफ , मेथी दाना , पीपली , गोंद, इत्यादि शायद ही कोई महीने में खाता हो । 

यह सब खाने में सबकी नानी मर जाती है लेकिन नानी के साथ साथ यह भी जल्दी hospital के bed पर मरे पाए जाते हैं।  


ग़लत काम करेंगे सब खुद लेकिन चिल्लायेंगे Hospital और Doctors को।  


  जिस दिन इस जीभ को संयमित कर लिया तो उसी दिन समझिये कि आप स्वस्थ्य होते चले जायेंगे ।


जिस दिन अपने kitchen या रसोई को शरीर के मंदिर के तौर पर बनाकर उस रसोई घर को घर का एक औषधालय बना लेंगे तो उसी दिन से आप स्वस्थ्य होते जाएंगे । 


जिस दिन आपकी रसोई में आपके घर की स्त्रियों के अलावा किसी अन्य का प्रवेश वर्जित होगा , उसी दिन से आपका Hospitals और Doctors से नाता टूटने लगेगा । 


जिस दिन आपने यह व्रत ले लिया कि मुझे बाहर का नहीं खाना और सबके घर घर का नहीं चाटना , उसी दिन से आपके घर से रोग अपनी गठरी बांधने लगेंगे । 

बहुत ही आवश्यक हो तभी इस व्रत या नियम को तोड़े । 

natural juices

जिस दिन आपने यह व्रत ले लिया कि मुझे एकमात्र मौसमी फल और सब्जियों का ही सेवन करना है , ठीक उसी दिन से वैभव और लक्ष्मी अपना बोरिया बिस्तर लेकर आपके घर में ठिकाना बनाने आ जाएंगी ।


और एक अन्य महत्वपूर्ण बात 👇


तन को बली बना लो ऐसा , सह ले सर्दी वर्षा घाम ।

मन को बलि बना लो ऐसा , टेक न छाड़े आठों याम ।।


मन को ऐसा बलिष्ठ बना लो कि कोई तुम्हें अपने नियम से डिगा न सके । 

ऐसा नहीं कि यार दोस्तों ने कहा दिया तो तुम भी अपने घर का संस्कार भुलाकर पीने और मांस सेवन करने लगे । 


मतलब तुम्हारे माँ बाप का संस्कार इतना गिरा था कि अन्य दोस्तों के संस्कार उस पर हावी हो गए ।

तुम इतने कमजोर निकले कि उनकी गलत बातें तुमने ग्रहण कर ली लेकिन अपनी अच्छी बातों या आदतों का प्रभाव तुम उन पर नहीं डाल सके । धिक्कार है तुम्हें ।

तो तुम उनके गुलाम हो।  


मैं बार बार कहता रहूँगा कि जिस दिन हमने अपने रहन सहन , आचार , विचार , खान पान , नियम संयम को संयमित एवं नियमित कर लिया , उसी दिन से सब ठीक हो जाएगा ।


वरना तो हॉस्पिटल और डॉक्टर भले ही कोई अपने दोनों जेब में लेकर घूमो या अपने नौ द्वार स्थान में ही घुसेड़ कर क्यों न रखे , वह मरेगा और रोगों से ही मरेगा । कोरोना ही नहीं कोरोना से भी बड़ी बड़ी बीमारियों से मरेगा ।


फिर एक बार सुनना  समझना है  जो रामायण ,गीता ,हमारे वेद शास्त्र कहते है।  👇 रामायण पनंक्तिया----


कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
जो जस करहिं सो तस फल चाखा ।।
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता ।
*निज कृत कर्म भोग सब भ्राता
             जय श्री राम

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