शराब अंग्रेजो का स्वार्थ या वर्तमान सत्ता धारियों का षड्यंत्र
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Bhartiya Nyay Darshan |
भारतीय न्याय दर्शन और हमारी सामाजिक व्यवस्था
ऐसी बनाई गई है की इसमें सभी बुरे कामो को
पाप से जोड़ा गया है | शराब पीना भी पाप है ये हमारी सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था
है | जब तक ये व्यवस्था हमारे समाज में चली तब तक किसी ने भारत में शराब नहीं पी |
आत्मघाती सेक्यूलरिज्म
प्लासी
के युद्द के बाद 1760 में अंग्रेजो ने भारत पर अपना अधिकार करना आरम्भ कर दिया था
| तब लन्दन की ससंद में ये सवाल उठा की भारतीयों का सांस्कृतिक पतन कैसे किया जाए
| यहाँ प्रत्येक भारतीय में कही कृष्ण है तो कही राम बसे हुए है | कोई महाराणा
प्रताप है तो कोई शिवाजी | यहाँ सभी के आदर्श महापुरुष है | तब ये तय हुआ की
भारतीयों के सांस्कृतिक पतन के लिए भारत
में शराब की दुकाने खोली जाये |
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Angrejo Ka Kanoon |
1760
में सबसे पहले बंगाल के कलकत्ता में शराब की दुकान खोली | ईस्ट इंडिया कम्पनी के
राज में अंग्रजो ने एक क़ानून बनवाया | और उस कानून के तहत लाइसेंस दे कर शराब की
दूकान खोली गई | भारत में सबसे पहला शराब का ठेका दिया रॉबर्ट क्लीव नाम के
अंग्रेज को |
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Robert Clive |
रॉबर्ट
क्लीव पहला ईस्ट इंडिया कम्पनी का अधिकारी था जिसने भारत में पहली शराब बेचीं | और
कम्पनी को शराब व्यापार से अच्छा मुनाफा
दिया | इस काम के हेतु पुरस्कृत करने के
लिए उसे लन्दन की संसद में बुलाया गया | और उससे पूछा की तुमने भारत में शराब का
धंधा कैसे चलाया जबकि भारत में पहेल कोई शराब नहीं पीता था |
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British Parliment |
तब
उसने बताया की पहले मुफ्त में शराब पिलाना शुरू किया और दुकान के बाहर एक बोर्ड लगाया
जिसमे अंग्रेजी और बंगला में यह लिखवा
दिया की यहाँ मुफ्त में शराब मिलती है | पीजिये और आनंद लीजिये | ऐसा करने से पहले
एक व्यक्ति आया दुसरे दिन वह दो और व्य्कतियो को लाया ऐसे ही मेरी दुकान पर बहुत
भीड़ होने लगी और अब वही मुफ्त में पीने वाले लोग घर से पैसे चुरा चुरा कर मेरी
दुकान से शराब पीते है |
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Sharab |
ये
स्टेटमेंट लन्दन की संसद में ओं रिकॉर्ड दर्ज है | और इस काम के पुरुस्कार स्वरुप
अंग्रेजो ने उसे एक और ठेका दे दिया और एक और शराब की दुकान खुलवा दी | और इसी तरह
कलकत्ता में 350 शराब की दुकाने खुल गई |
1000 साल की गुलामी
धीरे
धीरे अंग्रेजो ने पुरे भारत में शराब की दुकाने खुलवाई और शराब पीने का कानून बनवा
दिया की जो बालिग है वह अपनी मर्जी से शराब पी सकता है | और अंग्रेजो ने छल पूर्वक
भारतीयों की बालिग होने की उम्र 14 बर्ष राखी | 14 वर्ष का होते ही कोई भी बच्चा
अपनी मर्जी से शराब पी सकता है | विरोध के पश्चात इसे 16 वर्ष और बाद में 18 किया गया |
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Leagle Age For Drink |
आज़ादी
के बाद अंग्रेजो के बनाये कानून को बदलना चाहिए था लेकिन सत्ता गौरे अंग्रेजो से
काले अंग्रेजो के पास थी तो उन्होंने इस
कानून को और खुला कर दिया | अंग्रेजो ने इस कानून में ये लिखा था की जहा मंदिर,
मस्जिद, गुरुद्वारा या कोई भी धार्मिक स्थल है वहा से दूर शराब की दुकान खोली जाए
| स्कूल, महाविद्यालय इत्यादि के पास भी शराब की दुकाने नहीं होनी चाहिए | ऐसा
अंग्रेजो के कानून में लिखा था
लेकिन
आज़ादी के बाद इस कानून में इस बात को हटा दिया गया | अब स्कूल , महाविद्यालय यहाँ
तक की धार्मिक स्थलों के सामने भी शराब की दुकाने खुल गई है
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School And Wine Shope |
अंग्रेजो
के बाद आये इन काले अंग्रेजो ने तो आज़ादी
के बाद अब तक एक लाख लाइसेंस धारी दुकाने
खोल दी और बिना लाइसेंस की दुकाने को
शामिल किया जाए तो ये आंकड़ा दो लाख के पार जायेगा हर गाँव में शराब की दुकान है |
एक गाँव में दो दो शराब की दुकाने है | अंग्रेजो का तो स्वार्थ था देश पर राज करने
के लिए भारतीयों का पतन करना लेकिन इन वर्तमान सत्ता धारियों का क्या स्वार्थ हो
सकता है |
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Sharab ki Dukan |
वर्तमानं
में राज्य सरकारे अधिक से अधिक शराब के ठेके खुलवाने को प्रोत्साहित कर रही है
शराब की बिक्री के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जा रहे है | सर्वाधिक युवा पीढ़ी इस
षड़यंत्र में फासी हुई है | पहले हम गुलाम थे तो अब क्या हम आज़ाद है |